Dev Diwali 2025: महत्व, इतिहास, तारीख, पूजा विधि और वाराणसी की रौनक — पूरी जानकारी

Dev Diwali

Dev Diwali (देव दीपावली) जिसे हम देवो की दीपावली भी कहते है, भारत के पवित्र और प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार विशेष रूप से वाराणसी (काशी) में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
दीपावली जहाँ हम मनुष्यो के द्वारा मनाई जाती है वही देव दीपावली को देवताओ की दीपावाली भी कहते है-यानी की देवता जब खुद धरती पर उतरकर माँ गंगा के तटों पर दीप प्रज्वलित करते है।

यह त्यौहार कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो दिवाली के लगभग 15 दिनों के बाद आती है। इस दिन पूरी काशी में लाखो दिये जलाकर मैया गंगा की आरती जाती है और घाटों को स्वर्ग जैसी रौनक से सजाया जाता है।

देव दीपावली का इतिहास (History of Dev Diwali)

देव दीपावली का इतिहास पुराणों और पौराणिक कथाओ से जुड़ा हुआ है। मान्यता है की इस दिन भगवान विष्णु के 11वें अवतार श्री विष्णु ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर असुर ने कठिन तपस्या करके भगवान् शिव से अमरता का वरदान प्राप्त किया, उसने तीन नगर – एक धरती पर,एक आकाश में और एक पाताल लोक में बनाए। ये तीनो नगर अत्यंत शक्तिशाली थे। जब वह अत्यधिक अहंकारी हो गया और देवताओ को सताने लगा तब भगवान शिव ने त्रिपुरारी रूप में उसका वध किया। यह दिन देवताओ के विजय के रूप में जाना गया,इसलिए देवताओ ने इस दिन को दीप जलाकर मनाया – यही देव दीपावली कहलाया।
स्कन्द पुराण और पद्म पुराण में देव दीपावली का विस्तृत रुप से उल्लेख किया गया है इसमें कहा गया है की इस दिन गंगा स्नान,दीपदान और भगवान् शिव की आराधना करने से सभी पाप नष्ट हो जाते है।

dev diwali

देव दीपावली 2025 की तारीख (Dev Diwali 2025 Date)

इस बार Dev Diwali की तारीख बुधवार 5 नवंबर 2025 कार्तिक पूर्णिमा का शुभ दिन है। इसका मुख्य स्थान वाराणसी (काशी), गंगा घाट पर होगा। यहाँ पर सूर्यास्त के बाद गंगा आरती और दीपदान का मुख्य आयोजन किया जायेगा।

देव दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा का संबंध

Dev Diwali कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है और इसका धार्मिक कारण भी बहुत ज्यादा रोचक है। कार्तिक मास को हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र महीना माना गया है। इस महीने में स्नान,दान,दीपदान और पूजा का विशेष महत्त्व होता है।
पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपनी पूर्ण ज्योति में होता है, जो शांति और साकारात्मकता का प्रतिक है। इस दिन जब गंगा जी के किनारे लाखो की संख्या में दीए जलाये जाते है तो ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग स्वयं धरती पर उतर आया हो।

देव दीपावली कैसे मनाई जाती है? (Rituals and Celebrations)

DEV DIWALI मनाने की प्रक्रिया बहुत भव्य होती है खासकर वाराणसी में। यहाँ लगभग 84 घाटों पर लाखो दिए जलाये जाते है।
इसकी शुरुआत सुबह-सुबह श्रद्धालु गंगा स्नान करके करते है। मान्यता है की इस दिन गंगा स्नान करने से जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। स्नान के बाद श्रद्धालु गंगा के किनारे जाकर दिए जलाये जाते है और उन्हें जल में प्रवाहित करते है। इस दीपदान को गंगा आरती दीपदान कहा जाता है। शाम को सूर्यास्त के समय गंगा आरती का आयोजन होता है। यह दृश्य काफी मनमोहक होता है-साधु,पुजारी,और भक्तगण सब एक साथ आरती है,शंख से सारा शहर गुंजायमान हो जाता है और सभी घाट दीओ की रौशनी से जगमग हो उठता है। पूरा वाराणसी इस दिन घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम,नृत्य,संगीत और आतिशबाजी से चकाचौंध रहता है।

वाराणसी में देव दीपावली का दृश्य (Dev Diwali in Varanasi)

देव दीपावली पर गंगा में दीपदान करती श्रद्धालु महिलाएँ
Dev Deepawali in Varanasi

वाराणसी का नाम सुनते ही माँ गंगा के घाटों पर बजती हुई घंटियाँ याद आ जाती है। खासकर DEV DIWALI के दिन जब पूरा शहर दीओं की रौशनी से ढका होता है तब यह मनोरम दृश्य अविस्मरणीय होता है। दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, मणिकर्णिका घाट, पंचगंगा घाट जैसे स्थानों पर लाखो दिए जलाये जाते है, इन घाटों पर इतनी ज्यादा मात्रा में भीड़ होती है की लोगो खड़ा होंने की भी जगह बहुत मुश्किल से मिलती है। कई श्रद्धालु नाव में बैठकर पुरे घाटों की रौनक को देखते है और अपने यादो में समेटते रहते है यह नौका यात्रा देव दीपावली का मुख्य आकर्षण है।

कहा जाता है

जो देव दीपावली की रात वाराणसी में गंगा आरती देख ले, उसे जीवन में स्वर्ग के दर्शन हो जाते हैं।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व (Spiritual Importance of Dev Diwali)

DEV DIWALI केवल मात्र एक पर्व नहीं बल्कि आस्था,श्रद्धा और प्रकाश का अद्भुत संगम है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा जी में दीप प्रवाहित करने से हमारे पितरो को आत्मा की शांति प्राप्त होती है। इस दिन दीप जलाने के पीछे यह भावना होती है की हम अपने भीतर के अहंकार को मिटाकर ज्ञान और भक्ति के प्रकाश को समस्त संसार में फैलाए। भगवान् विष्णु,शिव और गंगा माँ की आराधना से सब इच्छापूर्ण होती है,जो लोग इस दिन दान-पुण्य करते है उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पर्यटन और यात्रा गाइड (Dev Diwali Travel Guide for Varanasi)

अगर आप DEV DIWALI के दिन वाराणसी आने का प्लान कर रहे है तो ये जानकारी जरूर आपके काम आएगी। आप यहाँ रेल मार्ग (Varanasi Junction सभी प्रमुख शहरो से जुड़ा है),हवाई मार्ग (लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट वाराणसी के लिए पटना,दिल्ली,मुंबई,कोलकत्ता आदि से उड़ान ले सकते है) तथा सड़क मार्ग (NH-19 और NH-31 बेस्ट है) से पहुंच सकते है। ठहरने के लिए गंगा घाटों के पास में बहुत सारे होटल और धर्मशालाएँ (BrijRama Palace, Townhouse Varanasi, Amber Palace etc) उपलब्ध है।
गंगा आरती ,घाट पर नौका की सवारी, विश्वनाथ मंदिर और संकट मोचन हनुमान मंदिर जरूर जाए। उसके बाद बनारस की गलियों की लस्सी का आनंद लेते हुए बनारसी पान का स्वाद एक बार जरूर ले।

Dev Diwali हिन्दू धर्म का एक ऐसा पर्व है जो प्रकाश, भक्ति और एकता का प्रतिक है।
इस दिन दान का विशेष महत्व है,इस दिन का दिया हुआ दान सैकड़ो गुना फल देता है इस दिन सभी भक्तजन अनाज,वस्त्र,धन इत्यादि का दान करते है। यह त्यौहार हमें सिखाता है की जैसे दिया अन्धकार को दूर करता है वैसे ही भक्ति और ज्ञान हमारे जीवन के अंहकार और अन्धकार को मिटाता है।
वाराणसी की देव दीपावली केवल एक उत्सव नहीं वल्कि एक आध्यात्मिक अनुभूति है जिसे एक बार देखने वाला उसे जीवन भर नहीं भूलता।

काशी की देव दीपावली देख ली तो मानो खुद देवताओं के साथ दीप जलाए।

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